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मंगलवार, 5 जनवरी 2010

संबंधो की एक नयी दिशा चिट्ठाजगत

आज जबकि मनुष्य अपने बंधु बांधवों के लिए समय निकालने में हिचकता है या व्यस्तता का बहाना करता है , ब्लॉग जगत में एक निस्वार्थ मिलन की जो गंगा प्रावहित हो रही है वह बेमिसाल है . कल ही मैं चेन्नई, पुत्तपर्थी और बेंगलुरु प्रवास से वापस घर लौटा .
चेन्नई में PD याने प्रशांत से एक छोटी लेकिन प्रिय मुलाक़ात , इस यात्रा की एक यादगार है . ब्लॉग जगत में मुखर लेकिन वास्तविकता में एक सकुचाते हुए युवा से मिलना वाकई आनददायक रहा. शायद यह चित्र ही कुछ कह रहा है . आज के युग में एक युवा का चाय भी नहीं पीना अचंभित कर गया .


3 टिप्‍पणियां:

PD ने कहा…

महेश सर, आपको यह जानकर और भी आश्चर्य होगा कि मेरे तीनो मित्रों(रूममेट) में से कोई भी चाय-कॉफी नहीं पीता है.. :)

Sanjeet Tripathi ने कहा…

PD is a gud guy, as his blog told us.

satyarth ने कहा…

shukriya mere blogs pahne ke liye aur comments dene ke liye